हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह का यह समय खगोलीय दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष की अमावस्या पर एक अद्वितीय खगोलीय घटना होने जा रही है – साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, जो ‘रिंग ऑफ फायर’ के नाम से भी जाना जाता है। इस घटना में सूर्य का चारों ओर एक चमकता हुआ छल्ला दिखाई देगा, जो खगोलीय चमत्कार जैसा नजारा प्रस्तुत करेगा।
कब और कहां दिखेगा यह सूर्य ग्रहण?
यह सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर की रात 9:13 बजे से शुरू होकर 3 अक्टूबर की मध्यरात्रि 3:17 बजे तक रहेगा। हालांकि, इसका मुख्य आकर्षण ‘रिंग ऑफ फायर’ का नजारा केवल कुछ सेकंड के लिए ही दिखाई देगा। यह दृश्य दक्षिणी अमेरिका, अर्जेंटीना, चिली, फिजी और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। दुर्भाग्य से, यह अद्भुत खगोलीय घटना भारत में नजर नहीं आएगी।
‘रिंग ऑफ फायर’ क्यों है खास?
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण खास इसलिए है क्योंकि यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसे “Ring of Fire” कहा जाता है। जब चंद्रमा पृथ्वी से थोड़ी दूरी पर होता है, तो उसका आकार इतना छोटा होता है कि वह सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता। इस स्थिति में, सूर्य का केवल किनारा दिखाई देता है, जो एक चमकता हुआ छल्ला बनाता है। यह छल्ला बिल्कुल आग के घेरे जैसा दिखता है, जिसे ‘रिंग ऑफ फायर’ कहा जाता है।
भारत में क्यों नहीं दिखेगा यह ग्रहण?
यह खगोलीय घटना उन जगहों पर ही देखी जा सकेगी, जहां सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक रेषा में आते हैं। यह ग्रहण प्रशांत महासागर और दक्षिणी अमेरिका के हिस्सों में पड़ रहा है, इसलिए भारत में इसे देख पाना संभव नहीं होगा।
वैज्ञानिक महत्व
सूर्य ग्रहण पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच की विशेष ज्यामितीय स्थिति के कारण होता है। वैज्ञानिक दृष्टि से इसे समझना और देखना बेहद रोमांचक होता है, क्योंकि इससे खगोलीय पिंडों के बीच की दूरी और गति को समझने में मदद मिलती है।
यह अद्भुत खगोलीय घटना हर बार एक नया अनुभव लेकर आती है। इस साल का सूर्य ग्रहण खासतौर पर ‘रिंग ऑफ फायर’ के लिए यादगार रहेगा, जो देखने वालों के लिए एक अद्भुत और चमत्कारी दृश्य होगा।